एक सूफी संत अपने शिष्यों के साथ दुग्ध-धवल चाँदनी रात में अपने घर की छत पर ईश्वर आराधना में मग्न थे। कौतुकवश एक नवयुवक भी वहाँ आया और चुपचाप सत्संग में शामिल हो गया, उसे बड़ा आनंद आया। इतना सुकून, इतनी शांति तो उसे कभी नहीं मिली थी। संत ने भी उसे ...
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