नीले सागर के तट पर खड़ी सुप्रिया समझ नहीं पा रही थी कि वह यहाँ क्यों खड़ी थी। लहरें बारी-बारी उसके पैरों को छूकर वापस चली जाती थीं। अचानक एक तेज लहर आई और ढेर सारी बूँदें छिटके
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